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मन में साहस काठी में बल ले कर आए हैं / जहीर कुरैशी
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मन में साहस काठी में बल लेकर आए हैं
हम सूने जीवन में हलचल लेकर आए हैं
आदम की पीड़ा भी सागर जैसी लगती है
आँसू,आँखों में खारा जल लेकर आए हैं
तुम बीते कल के किस्सों को लेकर बैठ गये
हम देखो, आने वाला कल लेकर आए हैं
उन लोगों से बोलो मेहनत करके भी देखें
जो बातों में सिर्फ ‘करमफल’ ले कर आए हैं
भूख गरीबी हल करने के भाषन दिए बिना
हम बंजर खेतों में ‘हल’ लेकर आए हैं !
इन लोगों की बातों पर विश्वास न कर लेना
जो ‘तस्बीहें’ और ‘कमंडल’ लेकर आए हैं
वायुयान की सुविधा वाले उड़कर आ पहुँचे
हम तो खुद को पैदल-पैदल लेकर आए हैं.