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ओ! तू था कहाँ / कविता भट्ट
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1 चाँदनी रात हाथ में तेरा हाथ प्रेम की बात 2 है तो उजाला दुःख भी तेरे साथ तारों की माला 3 प्यार तू मेरा तेरी इन आँखों ने जाने किया क्या 4 साँझ-सवेरे हिचकियाँ दे रही संदेश तेरे 5 न कोई बाँचा केवल तू समझा प्यार ये साँचा 6 निर्बल जीव चढ़ाई-उतराई मन-कल्पना 7 है अपना सा इतनी अवधि से ओ! तू था कहाँ 8 सुकून पाया तेरा चेहरा देखा पहाड़ी चाँद 9 दिवस डूबा मेरा वो मनमीत अभी न आया 10 मन में तू है दुनिया का ना डर तू न रूठना -0-