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अपनी अलग चिन्हारी रख / बसंत देशमुख

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अब नही उनसे यारी रख

अपनी लडाई जारी रख


भूख ग़रीबी के मसले पे

अब इक पत्थर भारी रख


कवि मंचों पर बने विदूषक

उनके नाम मदारी रख


भीड़-भाड़ में खो मत जाना

अपनी अलग चिन्हारी रख