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चंपकों का प्रयाण गीत / शुभम श्री
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चिरकुट था चिरकुट हूँ चिरकुट रहूँगा
बोलूँ चाहे न बोलूँ
शक़्ल से दिखूँगा
चेप कहे, चाट कहे, चण्ट कहे कोई
बत्तीसी निकाले हँस-हँस सहूँगा
धरती का जीव नहीं ऑर्डर पर आया हूँ
हिन्दी पढ़ूँगा चंपक बनूँगा