भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
इन तंग जूतों में / अवतार एनगिल
Kavita Kosh से
प्रकाश बादल (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:40, 18 जनवरी 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अवतार एनगिल |एक और दिन / अवतार एनगिल }} <poem> इन तंग जू...)
इन तंग जूतों में
लगे दुखने
एक जोड़ी पाँव
हे दूब!
हे धूप !
चट्टान री!
उतार कर इन्हें
मिलने तुम्हें
आ रहा हूं मैं