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फ़ाइलें / रुस्तम

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मासूम और
निष्क्रिय नहीं हैं
ये फ़ाइलें।
विशाल रेगिस्तानी
रेत की तरह
ये सरकती हैं अनवरत
युगों की चाल से।

असंख्य ख़ुशियाँ, असंख्य उम्मीदें,
असंख्य उदीयमान प्रतिभाएँ
दफ़न हो जाती हैं इनके
निर्विकार बोझ के तले।
कुछ लुप्त हो जाती हैं
सदा के लिए,
कुछ अभरती हैं फिर
किसी भूचाल में,
किन्हीं प्राचीन प्राणियों के
सुन्दर भग्नावशेषों की तरह।

</poem>