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पतन पतंग सर्रानी / सोमदत्त

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चन्‍दन प्रभु तुम पानी हम प्रभु पानी हम प्रभु उस गड़हे के जिसको रोज खोदकर प्रियजन प्‍यास बुझाते,बंसबेल की अंजर पंजर संतानों की प्‍यास बुझाते,पूरा पड़ोस गली से गुजरे जजमानों की पानी हम प्रभु चंदन तुम प्रभु चंदन तुम प्रभु उस काठी के जिसमें व्‍यापा विष सांपों का सांप चतुर जो दूध पिलाकर बाघों को बिल्लियां बनाते सांप चतुर जो बीन बजाकर कालबेलियों को नचवाते सांप चतुर जो मंत्र फूंककर घर में घर घूले खिलवाते पानी हम प्रभु पानी हम उस बड़े बांध के जिसकी जांघ जोत ली तुमने पानी प्रभु उस कमल नयन के जिसकी जोत सोख ली तुमने पानी प्रभु उस बड़वानल के जिसकी आग तोप दी तुमने चंदन हम प्रभु पानी हम प्रभु पत्‍थर हम प्रभु प्राणी हम प्रभु भ्रम की दुर्गिति आंखिन देखी फिर भी मति बौराना प्रभुजी तुम चन्‍दन हम पानी प्रभुजी।