भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
श्याम मोसूँ ऐंडो डोलै हो / मीराबाई
Kavita Kosh से
अनूप.भार्गव (चर्चा) द्वारा परिवर्तित 19:36, 16 अगस्त 2006 का अवतरण (मीराबाई-श्याम मोसूँ ऐंडो डोलै हो-नई कविता)
कवि: मीराबाई
~*~*~*~*~*~*~*~
श्याम मोसूँ ऐंडो डोलै हो।
औरन सूँ खेलै धमार, म्हासूँ मुखहुँ न बोले हो॥
म्हारी गलियाँ ना फिरे वाके, आँगन डोलै हो।
म्हारी अँगुली ना छुए वाकी, बहियाँ मरोरै हो॥
म्हारो अँचरा ना छुए वाको, घूँघट खोलै हो।
'मीरा' को प्रभु साँवरो, रंग रसिया डोलै हो॥