भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

घर / प्रफुल्ल कुमार परवेज़

Kavita Kosh से
प्रकाश बादल (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:56, 8 फ़रवरी 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रफुल्ल कुमार परवेज़ |संग्रह=संसार की धूप / प्र...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


चार दीवारेंब हैं
दीवारों से झरती मिट्टी है

छत है
टपकती हुई


रसोई है
डंका बाजाती भूख़ है
पलंग है
करवटें हैं
मेज़ है
बस से बाहर
ज़रूरतों की फ़ेहरिस्त है

पत्नि है
काले गढ़ों में धँसी आँखें है
शून्य है

बच्चे हैं
सिर झुकाए फ़ीस की माँग है
और कुछ न माँगने की समझ है
बुढ़ापा है बचपने में

खूँटी पर कुर्ता है
जेब का कफ़न ओढ़े
मरा हुआ सिक्का है