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क्यों घर में हो / शक्ति चटोपाध्याय
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बंद पड़े हैं दरवाजे सोया हुआ है सारा मुहल्ला सिर्फ कभी-कभी सुनाई पड़ती है रात की दस्तक- 'अवनि' घर में हो ?
बारह मास यहां वर्षा होती है बारहों मास यहां उमड़ते-घुमड़ते हैं मेघ चरती हुई गाय की तरह गंदी नाली में उगी घास ने बढ़कर छेंक लिया है समूचे दरवाजे को- 'अवनि' घर में हो ?
भरे हुए मन से फैले हुए दुखों के बीच मैं सो जाता हूं लगाकर बिस्तर कि अचानक सुनता हूं फिर वही दस्तक- 'अवनि' घर में हो ?
अनुवाद - गिरीश श्रीवास्तव