भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

माशा के लिए / येव्गेनी येव्तुशेंको

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:01, 11 अक्टूबर 2007 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKAnooditRachna |रचनाकार=येव्गेनी येव्तुशेंको |संग्रह=धूप खिली थी और रिमझिम...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: येव्गेनी येव्तुशेंको  » संग्रह: धूप खिली थी और रिमझिम वर्षा
»  माशा के लिए

(माशा= कवि की युवा पत्नी मरीया का प्यार भरा उपनाम)


मैं तुम्हें प्रकृति से अधिक चाहता हूँ

हालाँकि तुम ख़ुद हो प्रकृति की वादी

मैं तुम्हें स्वतन्त्रता से अधिक चाहता हूँ

तुम्हारे बिना, जेल लगती है आज़ादी


मैं तुम्हें प्यार करता हूँ असावधान

अदृश्य हो जाना चाहता हूँ बिना छोड़े निशान

मैं तुम्हें प्यार करता हूँ जितना सम्भव है

उससे भी कहीं अधिक जो असम्भव है


मैं चाहता हूँ तुम्हें--असीमित और लगातार

नशे में, नाराज़गी में भी, तुम्हें करता हूँ प्यार

ख़ुद से अधिक चाहता हूँ तुम्हें, यह सच है

उससे भी अधिक जितने पर मेरा वश है


मैं अनुरागी हूँ शेक्सपीयर से भी अधिक तुम्हारा

इस धरती के पूरे सौन्दर्य को, मैंने तुम पर वारा

दुनिया भर के संगीत से अधिक तुम मुझे प्यारी

किताबें, कला और संगीत, अब तुम ही हो हमारी


मैं तुम्हें चाहता हूँ बहुत, पर ख्याति उतनी नहीं

भविष्य की भी कीर्ति, मुझे भाती उतनी नहीं

ज़ंग लगी महाशक्ति से अधिक हो, तब भी

क्योंकि मेरी मातृभूमि तुम ही हो, वह नहीं


तुम अभागी हो ? सहभागिता चाहती हो ?

अपनी प्रार्थनाओं से तुम प्रभु को क्रोधित नहीं करो

मैं तुम्हें सुख से भी अधिक चाहता हूँ, मेरी जान!

मैं तुम्हें प्रेम से भी अधिक प्रेम करता हूँ, प्राण!