भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
आरती सिया रघुवर की / आरती
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:42, 2 दिसम्बर 2007 का अवतरण (New page: {{KKBhaktiKavya |रचनाकार= }} जयति जयति वन्दन हर की<BR> गाओ मिल आरती सिया रघुवर की ॥<BR><BR> ...)
रचनाकार: |
जयति जयति वन्दन हर की
गाओ मिल आरती सिया रघुवर की ॥
भक्ति योग रस अवतार अभिराम
करें निगमागम समन्वय ललाम ।
सिय पिय नाम रूप लीला गुण धाम
बाँट रहे प्रेम निष्काम बिन दाम ।
हो रही सफल काया नारी नर की
गाओ मिल आरती सिया रघुवर की ॥
गुरु पद नख मणि चन्द्रिका प्रकाश
जाके उर बसे ताके मोह तम नाश ।
जाके माथ नाथ तव हाथ कर वास
ताके होए माया मोह सब ही विनाश ॥
पावे रति गति मति सिया वर की
गाओ मिल आरती सिया रघुवर की ॥