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घर / पंकज सुबीर
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प्रकाश बादल (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:50, 19 मई 2009 का अवतरण
मेरा घर बुढ़ाने लगा है खांसती हैं दीवारे आजकल रात भर हालंकि डरती हैं कि कहीं मेरी नींद न टूट जाए इसलिये शायद लिहाफ में मुंह दबा कर खांसती हैं फिर भी मैं सुन लेता हूं और जान लेता हूं कि मेरा घर बूढ़ा होता जा रहा है