भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

गद्य / रघुवीर सहाय

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:23, 29 मई 2007 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} रचनाकार: रघुवीर सहाय Category:कविताएँ Category:रघुवीर सहाय ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~ ...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

रचनाकार: रघुवीर सहाय

~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~


सुंदर सुगठित गद्य, सहृदय के हाथों लिखा

पढ़ते पढ़ते चित्त, यात्राएं करने लगा

स्मृतियों का इहलोक, किसी और ने था रचा

भूले बिसरे मित्र, किंतु मुझे मिलने लगे

उनका अपना कथ्य, वही गद्य कहने लगा ।


(मई 1985 में रचित,'कुछ पते कुछ चिट्ठियां' कविता-संग्रह से)