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मैथिलीशरण गुप्त
Mahashakti
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मैथिलीशरण गुप्त की कविताएं
मैथिलीशरण गुप्त
माँ कह एक कहानी
सखी वे मुझसे कह कर जाते
आर्य
नर हो न निराश करो मन को
साकेत
साकेत / मैथिलीशरण गुप्त / समर्पण / निवेदन
साकेत / मैथिलीशरण गुप्त / प्रथम सर्ग / पृष्ठ १
साकेत / मैथिलीशरण गुप्त / प्रथम सर्ग / पृष्ठ २
साकेत / मैथिलीशरण गुप्त / प्रथम सर्ग / पृष्ठ ३
सैरन्ध्रीःखंडकाव्य
आर्य
दोनों ओर प्रेम पलता है
मनुष्यता
प्रतिशोध
मुझे फूल मत मारो
शिशिर न फिर गिरि वन में