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किसलिए हुए हैं बेचैन? / गिरधर राठी
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किसलिए हुए हैं बेचैन
न डर है मौत का
न ख़ौफ़ ख़ुदा का है
किसलिए हुए हैं बेचैन
फ़ाक़ा अजूबा नहीं, डर नहीं
दोस्तियाँ सहारा हैं देतीं कुछ छीनतीं
किसलिए हुए हैं बेचैन
सुख हैं गिने-चुने
ज़िन्दगी के गुर
हैं गिने-चुने
किसलिए हुए हैं बेचैन