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किसने कहा / ओमप्रकाश चतुर्वेदी 'पराग'
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रचनाकार: ओमप्रकाश चतुर्वेदी 'पराग'
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किसने कहा ये दिल के लगाने की चीज़ है
दुनिया तो दुख का जश्न मनाने की चीज़ है
परवाज़ ले चली जो ठिकाने से दूर-दूर
कब घोंसले में लौट के आने की चीज़ है
संजीवनी का दौर तो कब का गुज़र गया
अब तो सुरा ही होश में लाने की चीज़ है
ख़ामोश मैं रहा तो ज़माने को ये लगा
कुछ पास है मेरे जो छुपाने की चीज़ है
अपने को देखना है तो दिल में उतर के देख
चेहरा तो दूसरों को दिखाने की चीज़ है
चल मौत से ही आँख लड़ा कर के देख लें
ये जिंद़गी तो सिर्फ सताने की चीज़ है
उसको विदा किया ये बड़ी बात है पराग
वरना ये गम़ तो आ के न जाने की चीज़ है