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आशिक़ी में है महवियत दरकार / आसी ग़ाज़ीपुरी

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आशिक़ी में है महवियत दरकार।

राहते-वस्ल-ओ-रंजे-फ़ुरक़त क्या?


न गिरे उस निगाह से कोई।

और उफ़्ताद क्या, मुसीबत क्या?


जिनमें चर्चा न कुछ तुम्हारा हो।

ऐसे अहबाब, ऐसी सुहबत क्या?


जाते हो जाओ, हम भी रुख़सत हैं।

हिज्र में ज़िन्दगी की मुद्दत क्या?