शेख आशिक़्हुसे साहब ‘सीमाब’ १८८० ई. में आगरे में जन्मे। अरबी-फ़ारसी की पूर्ण्रूपेण शिक्षा प्राप्त करने के अतिरिक्त एफ़.ए. तक अंग्रेज़ी भी पढ़ी। शायरी का शौक़ स्वभावतः था। पिता के निधन के कारण आपको १७ वर्ष की उम्र में कालेज छोड़ना पड़ा और आजीविका के लिए कानपुर जाना पड़ा। १८९८ई. में आप मिर्ज़ा के शिष्य हो गए। उस्ताद के निधन के बाद किसी अन्य को संशोधन के लिए कलाम नहीं दिखाया।