भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हवा की गंध / नचिकेता
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:56, 27 जून 2007 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नचिकेता }} Category:गीत क्यों नहीं हमने अभी सूँघी हवा की ग...)
क्यों नहीं
हमने अभी सूँघी
हवा की गंध
एक क्षण ही
थरथराया जिस्म था
दिन का
चोंच में ले उड़ी चिड़िया
जब नया तिनका
अचीन्हे ही रह गए
अहसास के संबंध
सतह काँपी झील की
या कंपी परछाई
तैरती बतखें नहीं
यह सब समझ पाई
किया बरगद ने
सुबह के साथ था
अनुबंध
ले न पाई धूप-
बारिश अनुभवों से होड़
हम ढलानों पर नहीं
पद चिह्न पाए छोड़
होंठ पर जिनके
लिखी है
प्यार की सौगंध