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सप्ताह की कविता | शीर्षक: सद्यःस्नाता रचनाकार: अशोक वाजपेयी |
पानी छूता है उसे उसकी त्वचा के उजास को उसके अंगों की प्रभा को – पानी ढलकता है उसकी उपत्यकाओं शिखरों में से – पानी उसे घेरता है चूमता है पानी सकुचाता लजाता गरमाता है पानी बावरा हो जाता है पानी के मन में उसके तन के अनेक संस्मरण हैं।