भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अच्छी है यही खुद्दारी क्या/ श्रद्धा जैन
Kavita Kosh से
Shrddha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:03, 16 फ़रवरी 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= श्रद्धा जैन }} Category:गज़ल <poem> अच्छी है यही खुद्दार...)
अच्छी है यही खुद्दारी क्या
रख जेब में दुनियादारी क्या
जो दर्द छुपा के हंस दे हम
अश्कों से हुई गद्दारी क्या
हंस के जो मिलो सोचे दुनिया
मतलब है, छुपाया भारी क्या
वे देह के भूखे, क्या जाने
ये प्यार वफ़ा दिलदारी क्या
बातें तो कहे सच्ची "श्रद्धा"
वे सोचे, मीठी खारी क्या