भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

चेतन जड़ / अशोक चक्रधर

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:02, 28 जून 2007 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अशोक चक्रधर }} प्यास कुछ और बढ़ी और बढ़ी । बेल कुछ और च...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


प्यास कुछ और बढ़ी

और बढ़ी ।


बेल कुछ और चढ़ी

और चढ़ी ।


प्यास बढ़ती ही गई,

बेल चढ़ती ही गई ।


कहाँ तक जाओगी बेलरानी

पानी ऊपर कहाँ है ?


जड़ से आवाज़ आई--

यहाँ है, यहाँ है ।