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दुनिया / अजित कुमार
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वह जो मेरा वादा था इस दुनिया से :
तुझको साथ रखूँगा,
लूँगा कुछ यदि, तो दूँगा भी :
उसको पूरा करने की अभिलाषा थी ही ।
पर दुनिया ने मुझको धोका दिया,
मुझे भर दिया आह । कितनी निधियों से ।
वैभव से, अनुभव से, ॠद्धि-समृद्धि, और कितनी सुधियों से ।
पछताता हूँ, छूट नहीं पाता हूँ,
यह अनुभव करता हूँ—
अब दुनिया मेरे साथ ‘बहुत ज़्यादा’ है ।