भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
जय गणेश देवा / आरती
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:29, 2 दिसम्बर 2007 का अवतरण (New page: {{KKBhaktiKavya |रचनाकार= }} जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा ।<br> माता जाकी पारवती पिता म...)
रचनाकार: |
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा ।
माता जाकी पारवती पिता महादेवा ॥
एकदन्त दयावन्त चारभुजाधारी
माथे पर तिलक सोहे मूसे की सवारी ।
पान चढ़े फल चढ़े और चढ़े मेवा
लड्डुअन का भोग लगे सन्त करें सेवा ॥
अंधे को आँख देत कोढ़िन को काया
बाँझन को पुत्र देत निर्धन को माया ।
' सूर' श्याम शरण आए सफल कीजे सेवा
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा ॥