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अहिंसा और भीख माँगते बच्चे / अरुण कमल

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एक तालाब बहुत सुन्दर भरे कमल दिल में

एक मन्दिर बहुत सुन्दर तालाब के जल में ।


यहीं दिया था उपदेश अहिंसा का महावीर तीर्थंकर ने

यहीं इस तपोवन में

अभी भी जीवित हैं चरण-चिन्ह चाँदी में कढ़े

लाल पत्थरों में बँधी है शान्ति असीम अपूर्व ।


मंदिर के बाहर खड़े हैं भिखमंगे, भूखे नंगे बच्चे

जैसे ही अन्दर से शान्त पवित्र हो बाहर आप रखते हैं कदम

कि बिल्कुल चील की तरह झपट्टा मारते हैं बच्चे--

भगवान महावीर के नाम पर मारवाड़ी बहुओं ने

लुटाए हैं सिक्के खुले हाथ, खनखनाए हैं कंगन

और एक दूसरे पर गिरते भहराते लूटने दौड़े हैं बच्चे


शान्ति अजेय ओ अहिसा अजेय

शान्ति अजेय ओ अहिंसा अजेय ।