इक्कीसवीं सदी के
आरंभ में भी
प्यार था
वैसा ही
आदिम
शबरी के जमाने सा
तन्मयता
वैसी ही थी
मद्धिम
था स्पर्श
गुनगुना...
आखिर
हम आदमी थे
... इक्कीसवीं सदी में भी
इक्कीसवीं सदी के
आरंभ में भी
प्यार था
वैसा ही
आदिम
शबरी के जमाने सा
तन्मयता
वैसी ही थी
मद्धिम
था स्पर्श
गुनगुना...
आखिर
हम आदमी थे
... इक्कीसवीं सदी में भी