भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

रास्ता तलाशता एक आदमी / अवतार एनगिल

Kavita Kosh से
प्रकाश बादल (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:29, 12 सितम्बर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अवतार एनगिल |संग्रह=अन्धे कहार / अवतार एनगिल }} <poem>...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

एक गुमशुदा बालक
इस बीहड़ में
तलाश रहा है
अपने घर का रास्ता

उतरता
चट्टानी घुमावों में
भटकता
टीला-दर-टीला
भागता
शिखर-दर-शिखर

एकाएक
सरकते हैं
अहल चट्टानी पत्थर
दरकते हैं
कठोर बूढ़ॆ पहाड़
टूट निकलती है
नर्म जोगिया मिट्टी
बनकर लहरों-सी तरल
बिछ जाती है
अनंत-अनंत विस्तारों पर
ठीक उसी समय
खिल-खिल बजती हैं
मंदिर की घंटियां
और रास्ता ढूंढता एक बच्चा
चकित
भ्रमित जाता है ठिठक

भूगोल भी कोई जादू है क्या ?


सच,कितने कोमल हैं पहाड़
कितनी तरल हैं चट्टानें
कितनी उर्वरा है धरती