भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हलके से / अशोक वाजपेयी

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:37, 8 नवम्बर 2009 का अवतरण

यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

वह पत्ती हवा में हलके से काँपी हवा उस पत्ती के पास से गुज़रते हुए हलके से काँपी एक बच्चा उधर बैठे ठण्ड से हलका सा काँपा एक बूढ़े के लगभग मरणासन्न चेहरे पर जीवन फिर से काँपा और शान्त हो गया । </poem>