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जो कभी नहीं बोलते / जया जादवानी

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जो कभी नहीं बोलते
बोलते हैं सबसे ज़्यादा
जिसे तुम ख़ामोशी समझने की
भूल करते हो
वह जगह ढँकी है
शब्दों की लाशों से