भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
संसार / जया जादवानी
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:21, 19 नवम्बर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= जया जादवानी |संग्रह=उठाता है कोई एक मुट्ठी ऐश्व…)
वह उठाती है
हथेली पर
पूरा का पूरा संसार
रच देती
मेहंदी-सा
तुम सिर्फ़ ख़ुशबू लेते हो
और एतराज करते हो।