भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
चेतना / अभियान / महेन्द्र भटनागर
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:30, 22 अगस्त 2008 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=महेन्द्र भटनागर |संग्रह= अभियान / महेन्द्र भटनागर }} <poem> ...)
प्रति हृदय में शक्ति दुर्दम,
मूल्य अपना माँगता श्रम,
जागरण का भव्य उत्सव,
सृष्टि का सब मिट गया तम !
विश्व जीवन पा रहा है,
गीत अभिनव गा रहा है,
कर्म का उत्साह-निर्झर
आज उमड़ा जा रहा है !
आज आगे मैं बढूंगा,
आपदाओं से लडूंगा,
राह की दुर्गम सभी
ऊँचाइयों पर जा चढूंगा !
1947