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सूरीनाम नदी तट पर गंगा - १ / पुष्पिता

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एक नदी से
मिलती है एक नदी
आैर खामोश हो जाती है।

नदी की आंखों में
देखती है एक नदी
आैर रो पड़ती है।

नदी बहकर आती है
आैर बहाकर ले जाती है आंखों को
मन की नदी की आेर।

सूरीनामी नदी
आंखों में समा जाती है
मन के समुदर् में
गंगा की तलाश में।

सूरीनामी नदी
शब्द-नदी की तरह मिलती है
आैर अथर्-सरिता की तरह मिल जाती है
मन की गंगा में
गंगा होने के लिए।