भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
उसके लिए सड़क / मुकेश जैन
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:22, 26 जनवरी 2010 का अवतरण
उसके लिए सड़क
रास्ता भर होती है
मोड़
इस तरह मुड़ जाता है
जैसे मोड़ ही न हो
आदमी तो होते ही नहीं हैं
सड़क पर उसके लिए
न मक़ान, न दुकानें
लड़कियाँ भी नहीं
यह पक्का है वह उदास नहीं है
उसकी भाषा
सिगरेट के धुएँ में मिलकर
और तल्ख़ हो जाती है
वह समाज के मुँह पर
थूकता है धुआँ
तुम्हे लगेगा वह प्रदूषण फेंकता है।
रचनाकाल : 03 मई 1992