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जग्गा जमया ते मिलन वधाईयां / पंजाबी

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

<जग्गा जमया ते मिलन वधाईयां,

के वड्डे हो के डाके डालदा, जगया,

के तुर परदेस गयों वे बुआ वजया,


-जग्गा, जमया ते मिलन वधाईयां,

के सारे पिंड गुड वण्डया, जगया,

के तुर परदेस गयों वे बुआ वजया,

-जे मैं जाणदी जग्गे मर जाणा,

मैं इक थाईं दो जणदी, जगया!

के टुट्टी होई माँ दे कलेजे छुरा वजया

-जग्गे जिन्दे नू सूली उत्ते टंगया,

ते भैण दा सुहाग चुमके, मखना,

के क्यों तुर चले गयों बेडा चखना,

-जग्गा मारया बोड दी छां ते,

के नौ मण रेत भिज गयी, सुरना !

के माँ दा मार दित्ताइ पुत्त सूरमा,


-चली दुक्खां दी अन्हेरी ऐसी,

के दीवे वाली लाट बुझ गयी, चानना!

वे तेरे बिना मान कित्थे नहिंयों जानना?


- वे तू दुक्ख पुत्तरां दा वेखें,

वे टूटे तेरा मान हाकमा, ढोल वे!

के गंगाजल विच क्यों दित्तइ जहर घोल वे,

-सानू शगणा दा कर दे लीरा,

के छड़ेयां दा पुन्न तोड़ दे, हाल नी!

के होणी खेड गयी, चाल नेरे नाळ नी,

-बारी खोल के यारी दी लाज रख लै,

मित्तरो! तेरे चन दी, नारे नी

देख तेनु सज्जन बुए ते वाजाँ मारे नी,

-लम्ब होकयां दे बल पये औंदे,

के खदरान नू अग्ग लग गई, हाय नी!

के भौर उड़ गये ते फुल कुम्ल्हाने नी.


-जग्गा, जमया ते मिलन वधाईयां,

के सारे पिंड गुड वण्डया, जगया,

जगया, के तुर परदेस गयों वे बुआ वजया, >


|भाषा=पंजाबी

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