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औरत की ज़िन्दगी / रघुवीर सहाय

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कई कोठरियाँ थीं कतार में

उनमें किसी में एक औरत ले जाई गई

थोड़ी देर बाद उसका रोना सुनाई दिया


उसी रोने से हमें जाननी थी एक पूरी कथा

उसके बचपन से जवानी तक की कथा