भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कितने दिए बुझाये होंगे / गुलाब खंडेलवाल

Kavita Kosh से
Vibhajhalani (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:25, 21 मई 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल |संग्रह=पँखुरियाँ गुलाब की / गुल…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

{KKGlobal}}


कितने दिए बुझाए होंगे
तब साजन घर आये होंगे

नाहक प्यार का दम भरना है
कल ये बोल पराये होंगे

साज सभी ने छेडा, लेकिन
सुर में हमीं रह पाये होंगे

हैरत है जब तक न मिले थे
हम क्या करते आये होंगे

इतने लाल गुलाब कहाँ थे!
तुमने नयन मिलाये होंगे