भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

फासिस्ट / मुकेश मानस

Kavita Kosh से
Mukeshmanas (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:04, 6 जून 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मुकेश मानस |संग्रह=पतंग और चरखड़ी / मुकेश मानस }} …)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

फासिस्ट

मैंने कहा
गंगा गंगोत्री से निकलती है
उसे अपने इतिहास पर खतरा लगा
उसने मुझे मार दिया

मैंने कहा
श्रीराम दिल्ली में रिक्शा चलाते हैं
उसे अपने धरम पर खतरा लगा
उसने मुझे मार दिया

मैंने कहा
ईश्वर आदमी का दुश्मन है
उसे अपनी शिक्षा पर खतरा लगा
उसने मुझे मार दिया

मैंने कहा
हिन्दू-मुस्लिम भाई-भाई हैं
उसे अपनी नीति पर खतरा लगा
उसने मुझे मार दिया

मैंने बार-बार
उसका चेहरा उघाड़ा है
उसने बार-बार मुझे मारा है
दरअसल वो हत्यारा है

रचनाकाल:1992