भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
दो पदचिन्ह तेरे / विजय वाते
Kavita Kosh से
अगर अपने होने का धोखा रहेगा,
तभी तो इबादत का मौका रहेगा |
दो पद चिन्ह मेरे दो पद चिन्ह तेरे,
जमा खर्च इतना सा होता रहेगा |
मुझे होश खोकर भी ये होश होगा,
कुल अपने दिल का झरोखा रहेगा |
बदलता बदलता बदलाता लगेगा,
बदलता मगर सिर्फ खोखा रहेगा |