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Butterfly-orange-48x48.png  एक काव्य मोती : निर्वाण षडकम

निर्विकल्प आकार विहीना, मुक्ति, बंध- बंधन सों हीना
मैं तो परमब्रह्म अविनाशी, परे, परात्पर परम प्रकाशी
व्यापक विभु मैं ब्रह्म अरूपा, मैं तो ब्रह्म रूप तदरूपा
चिदानंदमय ब्रह्म सरूपा, मैं शिव-रूपा, मैं शिव-रूपा

कविता कोश में मृदुल कीर्ति