भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सच सूर्य है / रमेश कौशिक
Kavita Kosh से
Kaushik mukesh (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:37, 20 जून 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: '''क्यों मरोगे'''<br /><br /> रचनाकार - रमेश कौशिक<br /><br /><poem>सच कहोगे<br />सच के …)
क्यों मरोगे
रचनाकार - रमेश कौशिक
रचनाकार - रमेश कौशिक
सच कहोगे
सच के सिवा कुछ न कहोगे
जानते हो
सच सूर्य है
कहोगे तो जल मरोगे
सच के सिवा
सब कुछ कहोगे
जानता हूं
नाहक क्यों मरोगे।
सच के सिवा कुछ न कहोगे
जानते हो
सच सूर्य है
कहोगे तो जल मरोगे
सच के सिवा
सब कुछ कहोगे
जानता हूं
नाहक क्यों मरोगे।