भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

यूँ ही रोज हमसे, मिला कीजिए / भावना कुँअर

Kavita Kosh से
41.220.12.34 (चर्चा) द्वारा परिवर्तित 23:56, 2 मई 2007 का अवतरण (New page: रचनाकार: भावना कुँअर ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~ यूँ ही रोज हमसे, मिला कीजिए फूलों ...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

रचनाकार: भावना कुँअर

~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~

यूँ ही रोज हमसे, मिला कीजिए

फूलों से यूँ ही, खिला कीजिए।


करते हैं तुमसे, मोहब्बत सनम

इसका कभी तो, सिला दीजिए।


कब से हैं प्यासे, तुम्हारे लिए

नज़रों से अब तो, पिला दीजिए।


पत्थर हुए हम, तेरी याद में

छूकर हमें अब, जिला दीजिए।


हो जाये कोई खता जो अगर

हमसे न कोई, गिला कीजिए।


Categories: कविताएँ | भावना कुँअर