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दे दिया मैंने / रवीन्द्र भ्रमर

आज का यह पहला दिन
तुम्हें दे दिया मैंने

आज दिन भर तुम्हारे ही ख़यालों में लगा मेला,
मन किसी मासूम बच्चे-सा फिरा भटका अकेला,
आज भी तुम पर
भरोसा किया मैंने ।

आज मेरी पोथियों में शब्द बनकर तुम्हीं दीखे,
चेतना में उग रहे हैं अर्थ कितने मधुर-तीखे,
जिया मैंने ।

आज सारे दिन बिना मौसम घनी बदली रही है,
सहन आँगन में उमस की, प्यास की धारा बही है,
सुबह उठकर नाम जो
ले लिया मैंने ।