भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
साँचा:KKEkMoti
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:22, 25 मई 2008 का अवतरण
एक काव्य मोती | |
दुख में सुमरिन सब करे, सुख मे करे न कोय । |