भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
शरीर / आलोक धन्वा
Kavita Kosh से
Pradeep Jilwane (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:31, 11 अक्टूबर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार = आलोक धन्वा }} {{KKCatKavita}} <poem> स्त्रियों ने रचा जिसे यु…)
स्त्रियों ने रचा जिसे युगों में
युगों की रातों में उतने निजी हुए शरीर
आज मैं चला ढूँढने अपने शरीर में।
1995