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बादली / चंद्रसिंह बिरकाली
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जीवण ने सह तरसिया,बंजर झंखर बांठ !
बरसै भोळी बादळी, आयो आज आसाढ़ !!
आठु पौर उडिकता, बीते दिन जयुं मास !
दरशन दे अब बादळी, मत मुरधर रै तास !!
आस लगाया मुरधरा, देख रही दिन रात !
भागी आ तू बादळी, आई रुत बरसात !!
कोरा कोरा धोरियां, डुगा डुगा डैर !
आव, रमा ए बादळी, ले-ले मुरधर ल्हेर !!