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साक्षर बने राक्षस / बीरेन्द्र कुमार महतो
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मोल-भाव में आज
हो रही भारी तरक़्क़ी
राक्षस तो राक्षस
साक्षर भी हैं इसमें शामिल,
जिधर देखिए उधर
मिलकर लूट रहे हैं,
माँ और बहनों की इज्जत,
थे कई सपने आँखो में
संजोए वर्षों से,
टूट गए एक ही पल में
जब हुए मोल-भाव में
पवित्र अग्नि के फेरे,
दान और दहेज की ख़ातिर
कलियुगी राक्षसों द्वारा
बे-मौत मारी जा रहीं ये,
देख कर इनकी दशा
कराह उठता हृदय मेरा
पूछ बैठता अपने आप से
क्या यही है,
कलियुगी मर्दों की
मर्दांनगी...?
मूल नागपुरी से अनुवाद : स्वयं कवि द्वारा