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जीवण / प्रमोद कुमार शर्मा

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जीवण
फगत लोक संगीत‘ई नीं
जिकै नै सुणता रैवां आखी उमर !

जीवण
शोक संगीत भी है
जिकै नै सुणनौ है बाद मौत रै भी।

क्यूं कै
लोक संगीत ई पैदा हुयौ है
कोख स्यूं शोक संगीत री !