भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मरम / कन्हैया लाल सेठिया

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:17, 28 दिसम्बर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कन्हैया लाल सेठिया |संग्रह=दीठ / कन्हैया लाल से…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


कोनी ऊजलै
बळयां
लाय में
सत्

कोनी हुवै
बदल्यां
भेख
संत,

सती बा
जकी झालै
सत री झल,

संत बो
जको गाळै
गरब रो मळ,

करै मोटी
माटी नै
माटी रो करम

माटी बा
जकी संवेदै
माटी रो मरम !