भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अग्नि-2 / मालचंद तिवाड़ी
Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:58, 9 जनवरी 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= मालचंद तिवाड़ी |संग्रह= }} {{KKCatKavita}}<poem>धैर्य नहीं…)
धैर्य नहीं है तुम्हारे
अग्नि
थकती नहीं तुम
नश्वरता पी-पी कर ?
लेकिन
बतलाओ तो अग्नि !
तुम नश्वरता को प्राण देती हो
या अपने लिए
नश्वरता के प्राण लेती हो ?
अनुवादः नीरज दइया